1100 रुपया मिला बोनस, गुस्से में कर्मचारियों ने खोल दिया टोल, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 2 घंटे में 5 हजार गाड़ियां निकल गईं फ्री में
आगरा। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर दो जगह, एक आगरा और दूसरा लखनऊ पहुंचने पर पड़ने वाले टोल के कर्मियों ने दीपावली पर कम बोनस मिलने पर शनिवार रात कार्य बहिष्कार कर दिया। लखनऊ टोल पर रात 10 से 12 बजे तक कार्य बहिष्कार करते हुए टोल के बूम बैरियर उठा दिए। कंपनी अधिकारियों ने वहां स्थिति संभाली तो रात 12 बजे से यहां फतेहाबाद टोल पर कार्य बहिष्कार शुरू हो गया।
हुआ यूं कि फतेहाबाद टोल टैक्स में कर्मचारियों को दीपावली पर कम बोनस दिया गया। इससे टोल कर्मचारी नाराज हो गए। उन्होंने टोल मैनेजर से कहा कि उनको बोनस दिया जाए, लेकिन उन्होंने बात को अनसुना कर दिया।
शनिवार रात भड़के कर्मचारियों ने टोल के गेट खोल दिए यानी बूम बैरियर उठा दिए। बस, फिर क्या था। धनतेरस के दिन हजारों गाड़ियां बिना टोल दिए निकल गईं। मैनेजर ने पहले कर्मचारियों को समझाया, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद उन्होंने पुलिस को कॉल कर दी। पुलिस आई तो लेकिन वह देखती रही।
बड़ी मुश्किल से अफसरों ने कर्मचारियों को मनाया। तब जाकर करीब 2 घंटे बाद फतेहाबाद टोल टैक्स पर काम शुरू हुआ। लेकिन, तब टोल कंपनी को 25 से 30 लाख रुपए का नुकसान हो गया।
पूरे मामले को समझते हैं... एक्सप्रेस-वे पर फतेहाबाद में टोल प्लाजा की जिम्मेदारी श्री साईं एंड दातार कंपनी के पास है। कंपनी ने हाल ही में यानी मार्च 2025 से टोल प्लाजा का ठेका लिया था। टोल पर 21 कर्मचारी हैं। दीपावली पर कंपनी ने कर्मचारियों को सिर्फ 1100 रुपए का बोनस दिया। कंपनी का तर्क था कि उसने अभी मार्च में ही ठेका लिया है तो वह पूरे साल का बोनस क्यों दे?
हालांकि, कर्मचारी इस बात पर सहमत नहीं हुए। कर्मचारियों का कहना था कि पिछले साल 5 हजार रुपए का बोनस दिया गया था। इस बार कंपनी ने उनके साथ धोखा किया। शनिवार को रात 10 बजे कर्मचारी एकजुट हुए और उन्होंने टोल के गेट खोल दिए।
दूसरे टोल से कर्मचारी बुलाए गए कर्मचारियों के इस विरोध को देखकर टोल प्रबंधन परेशान हो गया। क्योंकि, उस दिन धनतेरस था, ऐसे में सामान्य दिनों की तुलना में वाहनों की संख्या तीन से चार गुना ज्यादा थी। प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस आ तो गई, लेकिन कुछ खास कर नहीं पाई।
इसके बाद अफसरों ने दूसरे टोल से कुछ कर्मचारियों को ड्यूटी के लिए बुलाया। लेकिन, प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने उनको काम नहीं करने दिया। बड़ी मुश्किल से सीनियर अफसरों ने कर्मचारियों से बात की। उनको 10 प्रतिशत सैलरी बढ़ाने का आश्वासन दिया। तब जाकर कर्मचारी माने।